सौगंध है इस मिट्टी की अब ये जान है सिर्फ वतन की सौगंध है इस मिट्टी की अब ये जान है सिर्फ वतन की
शुभकामनाएं देता मन मधुकर खुशियों से घर आँगन भरकर। शुभकामनाएं देता मन मधुकर खुशियों से घर आँगन भरकर।
करें संकल्प सबका साथ, सबका विकास का करें संकल्प स्वयं को ज्योति बनाने का, करें संकल्प सबका साथ, सबका विकास का करें संकल्प स्वयं को ज्योति बनाने का,
चाँद बोला तारों से अब कहानी हुई खत्म कल फिर मिलेंगे नई कहानी के संग हम। चाँद बोला तारों से अब कहानी हुई खत्म कल फिर मिलेंगे नई कहानी के संग हम।
वैसे तो हूं मैं"अन्नदाता".. फिर भी तरसता हूं दो वक़्त की रोटी को मेरा ही पैदा किया ह वैसे तो हूं मैं"अन्नदाता".. फिर भी तरसता हूं दो वक़्त की रोटी को मेरा ही प...
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